भारत के पर्वत व पहाड़ियां:
भारत के पर्वत व पहाड़ियां भूगोल और भौतिक संरचना के दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। यह क्षेत्र पर्वतीय शृंखलाओं, ऊँचाई वाली भूमि और घाटियों का मिश्रण है, जो भारत के जलवायु, नदियों, कृषि और संस्कृति को प्रभावित करते हैं। प्रमुख पर्वतीय शृंखलाएँ और पहाड़ियाँ निम्नलिखित हैं:
1. हिमालय पर्वत शृंखला (Himalayas):
- विस्तार: हिमालय शृंखला दुनिया की सबसे ऊँची पर्वतमालाओं में से एक है। यह उत्तर में जम्मू-कश्मीर से लेकर पूर्वोत्तर में अरुणाचल प्रदेश तक फैली हुई है।
- मुख्य चोटियाँ: माउंट एवरेस्ट (8,848 मीटर), कंचनजंगा (8,586 मीटर), नंदा देवी (7,816 मीटर)।
- क्षेत्रीय विभाजन:
- वृहत हिमालय (Greater Himalayas): इसे हिमाद्री भी कहा जाता है, जहाँ माउंट एवरेस्ट और अन्य ऊँची चोटियाँ स्थित हैं, जिनमें माउंट एवरेस्ट (8,848 मीटर), कंचनजंगा (8,586 मीटर), नंदा देवी (7,816 मीटर), और धौलागिरि (8,167 मीटर) शामिल हैं। यह शृंखला हमेशा बर्फ से ढकी रहती है और यहाँ अनेक ग्लेशियर स्थित हैं, जो भारत की प्रमुख नदियों का स्रोत हैं।
- मध्य हिमालय (Lesser Himalayas): इसे हिमाचल भी कहा जाता हैं यह वृहत हिमालय के दक्षिण में स्थित है और इसकी ऊँचाई 3,000 से 4,500 मीटर तक होती है। यहाँ कई प्रसिद्ध हिल स्टेशन जैसे शिमला, मसूरी, नैनीताल, और दार्जिलिंग स्थित हैं। इस भाग में समृद्ध वनस्पति और वन्य जीव पाए जाते हैं, जो इसे पर्यावरणीय दृष्टि से महत्त्वपूर्ण बनाते हैं।
- शिवालिक पर्वत (Shivalik Hills): सबसे बाहरी शृंखला, जो अपेक्षाकृत निम्न ऊँचाई पर है।यह हिमालय की सबसे बाहरी और सबसे निम्न शृंखला है, जिसकी ऊँचाई 900 से 1,200 मीटर तक होती है। यह क्षेत्र कृषि के लिए उपयुक्त है और यहाँ की मिट्टी बहुत उपजाऊ होती है। शिवालिक क्षेत्र में घने वन और कई जलप्रपात भी स्थित हैं।
- महत्व: यह जलवायु पर गहरा प्रभाव डालता है और भारत की प्रमुख नदियों (गंगा, यमुना, ब्रह्मपुत्र) का स्रोत है।
माउंट एवरेस्ट (Mount Everest)
- ऊँचाई: 8,848.86 मीटर
- स्थान: नेपाल और तिब्बत की सीमा
- विवरण: माउंट एवरेस्ट विश्व की सबसे ऊँची चोटी है, जिसे तिब्बत में “चोमोलुंगमा” और नेपाल में “सगरमाथा” कहा जाता है। 1953 में सर एडमंड हिलेरी और तेनजिंग नोर्गे ने इसे पहली बार सफलतापूर्वक आरोहित किया था। यह पर्वत हर साल सैकड़ों पर्वतारोहियों को अपनी ओर आकर्षित करता है।
कंचनजंगा (Kangchenjunga)
- ऊँचाई: 8,586 मीटर
- स्थान: भारत और नेपाल की सीमा
- विवरण: कंचनजंगा विश्व की तीसरी सबसे ऊँची चोटी है और भारत की सबसे ऊँची चोटी है। यह सिक्किम राज्य में स्थित है और इसे धार्मिक दृष्टिकोण से पवित्र माना जाता है। इसकी पाँच चोटियाँ हैं, जिन्हें स्थानीय लोग “कंचनजंघा के पाँच खजाने” कहते हैं।
ल्होत्से(Lhotse)
- ऊँचाई: 8,516 मीटर
- स्थान: नेपाल और तिब्बत की सीमा
- विवरण: ल्होत्से, माउंट एवरेस्ट के दक्षिण में स्थित है और यह विश्व की चौथी सबसे ऊँची चोटी है। इसे माउंट एवरेस्ट की सिस्टर पीक भी कहा जाता है। ल्होत्से पर्वतारोहियों के बीच कठिन चढ़ाई के लिए प्रसिद्ध है।
मकालू (Makalu)
- ऊँचाई: 8,485 मीटर
- स्थान: नेपाल और तिब्बत की सीमा
- विवरण: मकालू हिमालय की पाँचवीं सबसे ऊँची चोटी है और इसका आकार एक पिरामिड की तरह है। इस पर्वत को अपनी खड़ी ढलानों और तीखी चोटियों के कारण आरोहण के लिए बेहद कठिन माना जाता है।
चो ओयू (Cho Oyu)
- ऊँचाई: 8,188 मीटर
- स्थान: नेपाल और तिब्बत की सीमा
- विवरण: चो ओयू विश्व की छठी सबसे ऊँची चोटी है और यह माउंट एवरेस्ट के पश्चिम में स्थित है। इसकी चढ़ाई अपेक्षाकृत आसान मानी जाती है, इसलिए यह पर्वतारोहियों के बीच लोकप्रिय है।
धौलागिरि (Dhaulagiri)
- ऊँचाई: 8,167 मीटर
- स्थान: नेपाल
- विवरण: धौलागिरि विश्व की सातवीं सबसे ऊँची चोटी है और यह नेपाल के पश्चिमी हिस्से में स्थित है। इस पर्वत का नाम संस्कृत शब्द “धवल” (सफेद) और “गिरि” (पर्वत) से लिया गया है, जिसका अर्थ है “सफेद पर्वत”। इसका दक्षिणी भाग आरोहण के लिए अत्यंत कठिन है।
मानसलू (Manaslu)
- ऊँचाई: 8,163 मीटर
- स्थान: नेपाल
- विवरण: मानसलू नेपाल की आठवीं सबसे ऊँची चोटी है। इसे “आत्मा का पर्वत” कहा जाता है। इसकी पहली सफल चढ़ाई 1956 में जापानी पर्वतारोहियों द्वारा की गई थी।
नंगा पर्वत (Nanga Parbat)
- ऊँचाई: 8,126 मीटर
- स्थान: पाकिस्तान के गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र में
- विवरण: नंगा पर्वत, जिसे “किलर माउंटेन” भी कहा जाता है, विश्व की नौवीं सबसे ऊँची चोटी है। इसका पश्चिमी हिस्सा अत्यंत खतरनाक है, और यह पर्वतारोहियों के बीच अपनी कठिनाई के लिए जाना जाता है। यह भारत के जम्मू और कश्मीर के पास स्थित है।
अन्नपूर्णा (Annapurna)
- ऊँचाई: 8,091 मीटर
- स्थान: नेपाल
- विवरण: अन्नपूर्णा विश्व की दसवीं सबसे ऊँची चोटी है और इसे अपनी तीखी ढलानों और अविश्वसनीय चुनौतियों के लिए जाना जाता है। इसे पर्वतारोहण के लिए सबसे खतरनाक पर्वतों में से एक माना जाता है।
नंदा देवी (Nanda Devi)
- ऊँचाई: 7,816 मीटर
- स्थान: उत्तराखंड, भारत
- विवरण: नंदा देवी भारत की दूसरी सबसे ऊँची चोटी है और इसे भारतीय पर्वत श्रृंखलाओं में एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। यह उत्तराखंड राज्य में स्थित है और इसके आसपास का क्षेत्र नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान के अंतर्गत आता है, जो यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल भी है।
कमेट (Kamet)
- ऊँचाई: 7,756 मीटर
- स्थान: उत्तराखंड, भारत
- विवरण: कमेट पर्वत उत्तराखंड में स्थित है और यह गढ़वाल हिमालय की प्रमुख चोटियों में से एक है। यह चोटी बर्फीली ढलानों और हिमखंडों के लिए जानी जाती है।
त्रिशूल (Trisul)
- ऊँचाई: 7,120 मीटर
- स्थान: उत्तराखंड, भारत
- विवरण: त्रिशूल पर्वत समूह में तीन प्रमुख चोटियाँ शामिल हैं, जो भगवान शिव के त्रिशूल का प्रतीक मानी जाती हैं। यह पर्वत कुमाऊँ हिमालय में स्थित है और इसे पर्वतारोहियों के बीच काफी प्रसिद्ध माना जाता है।
शिवलिंग (Shivling)
- ऊँचाई: 6,543 मीटर
- स्थान: उत्तराखंड, भारत
- विवरण: शिवलिंग पर्वत गंगोत्री के पास स्थित है और इसका नाम इसकी शिवलिंग जैसी आकृति के कारण पड़ा है। यह पर्वत धार्मिक और पर्वतारोहण दोनों दृष्टिकोणों से महत्वपूर्ण है।
बन्दरपूंछ (Bandarpunch)
- ऊँचाई: 6,316 मीटर
- स्थान: उत्तराखंड, भारत
- विवरण: बन्दरपूंछ पर्वत मसूरी के पास स्थित है और इसकी आकृति एक बंदर की पूँछ जैसी है। यह पर्वत अपने ग्लेशियरों और सुंदर परिदृश्यों के लिए प्रसिद्ध है।
केदारनाथ (Kedarnath)
- ऊँचाई: 6,940 मीटर
- स्थान: उत्तराखंड, भारत
- विवरण: केदारनाथ पर्वत धार्मिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि यह केदारनाथ मंदिर के पास स्थित है। यह चोटी धार्मिक यात्राओं और पर्वतारोहण दोनों के लिए लोकप्रिय है।
माउंट सैसर कांगरी (Saser Kangri)
- ऊँचाई: 7,672 मीटर
- स्थान: लद्दाख, भारत
- विवरण: सैसर कांगरी लद्दाख के काराकोरम पर्वत श्रृंखला में स्थित है। यह पर्वत श्रृंखला के अन्य पर्वतों के समान खड़ी और चुनौतीपूर्ण चढ़ाई के लिए जानी जाती है।
कामेट (Kamet)
- ऊँचाई: 7,756 मीटर
- स्थान: उत्तराखंड, भारत
- विवरण: कामेट पर्वत गढ़वाल हिमालय में स्थित है और यह एक चुनौतीपूर्ण पर्वतारोहण स्थल है। इसकी चढ़ाई कठिन मानी जाती है और यह पर्वतारोहियों के बीच लोकप्रिय है।
पंचाचुली (Panchachuli)
ऊँचाई: 6,904 मीटरस्थान: उत्तराखंड, भारतविवरण: पंचाचुली उत्तराखंड के कुमाऊँ क्षेत्र में स्थित है और यह पाँच चोटियों का समूह है। इसे महाभारत की कथा से जोड़ा जाता है, जिसमें पांडवों ने स्वर्गारोहण के लिए इस पर्वत से यात्रा की थी।
2. विंध्य पर्वत शृंखला (Vindhya Range):
- विस्तार: विंध्य पर्वत मध्य भारत में स्थित हैं और यह उत्तर भारत और दक्षिण भारत के बीच एक प्राकृतिक विभाजन का कार्य करता है।
- ऊँचाई: लगभग 600-900 मीटर।
- महत्व: यह शृंखला नर्मदा और ताप्ती नदियों के बीच स्थित है, और यह कृषि और पर्यावरणीय दृष्टिकोण से महत्त्वपूर्ण है।
3. सतपुड़ा पर्वत शृंखला (Satpura Range):
- विस्तार: सतपुड़ा शृंखला विंध्य पर्वतों के दक्षिण में स्थित है और नर्मदा तथा ताप्ती नदियों के बीच फैली है। इसके पश्चिम से पूर्व जाने पर क्रमशः राजपीपला, महादेव ग्वालिगढ़ व मैकाल पहाड़िया मौजूद हैं।
- मुख्य चोटियाँ: धूपगढ़ (1,350 मीटर) मध्य भारत की सबसे ऊँची चोटी है।
- महत्व: यह क्षेत्र वन्यजीव और वनस्पति के लिए प्रसिद्ध है, और यहाँ कई संरक्षित वन्यजीव अभ्यारण्य स्थित हैं।
4. अरावली पर्वत शृंखला (Aravalli Range):
- विस्तार: अरावली भारत की प्राचीनतम पर्वत शृंखलाओं में से एक है, जो राजस्थान से दिल्ली-हरियाणा सीमा तक फैली है।
- ऊँचाई: सबसे ऊँची चोटी गुरु शिखर (1,722 मीटर) माउंट आबू में स्थित है।
- महत्व: यह शृंखला मरुस्थलीकरण को रोकने में सहायक है और जलवायु संतुलन बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
5. पश्चिमी घाट (Western Ghats):
- विस्तार: पश्चिमी घाट गुजरात से लेकर केरल तक भारत के पश्चिमी तट पर फैले हुए हैं।
- ऊँचाई: अनाईमुडी (2,695 मीटर) यहाँ की सबसे ऊँची चोटी है।
- महत्व: यह यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है और यहाँ की जैव विविधता अद्वितीय है। यह शृंखला दक्षिण भारत की प्रमुख नदियों (कावेरी, गोदावरी, कृष्णा) का स्रोत है।
6. पूर्वी घाट (Eastern Ghats):
- विस्तार: पूर्वी घाट ओडिशा, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के पूर्वी तटीय क्षेत्रों में फैले हुए हैं।
- मुख्य चोटियाँ: अराकू घाटी और नल्लमाला पहाड़ियाँ प्रमुख हैं।
- महत्व: यह पश्चिमी घाट से कम ऊँचाई वाली है और यहाँ की नदियाँ बंगाल की खाड़ी में गिरती हैं।
7. काराकोरम पर्वत शृंखला (Karakoram Range):
- विस्तार: यह शृंखला भारत के उत्तर में जम्मू और कश्मीर से लेकर पाकिस्तान और चीन तक फैली हुई है।
- मुख्य चोटियाँ: के2 (8,611 मीटर), जिसे गॉडविन ऑस्टिन भी कहा जाता है, इस शृंखला की सबसे ऊँची चोटी है।
- महत्व: काराकोरम ग्लेशियर इस क्षेत्र का एक प्रमुख हिस्सा है, जो हिमालय के बाद एशिया का सबसे बड़ा ग्लेशियर है।
8. नीलगिरी पहाड़ियाँ (Nilgiri Hills):
- विस्तार: यह पहाड़ियाँ तमिलनाडु, कर्नाटक और केरल के त्रिकोणीय संगम पर स्थित हैं।
- मुख्य चोटियाँ: डोड्डाबेट्टा (2,637 मीटर) सबसे ऊँची चोटी है।
- महत्व: नीलगिरि पहाड़ियाँ अपने सुंदर परिदृश्य और चाय बागानों के लिए प्रसिद्ध हैं।
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