गंगा नदी तंत्र भारत का सबसे बड़ा नदी तंत्र है, गंगा नदी तंत्र भारत और बांग्लादेश में फैला है और इसका सांस्कृतिक, धार्मिक, और आर्थिक महत्व अत्यधिक है। यह नदी कई सहायक नदियों से जल प्राप्त करती है, जो इसे भारत के विशाल हिस्सों में जीवनदायिनी बनाती है। गंगा नदी का उद्गम, प्रवाह मार्ग, और इसकी सहायक नदियाँ मिलकर गंगा नदी तंत्र का निर्माण करती हैं। यहाँ गंगा नदी तंत्र का विस्तार से विवरण दिया गया है।
गंगा नदी का उद्गम
- स्थान: गंगा नदी का उद्गम उत्तराखंड उत्तरकाशी जिले के गोमुख के निकट गंगोत्री ग्लेशियर से होता है, जहाँ इसे ‘भागीरथी’ कहा जाता है।
- प्रमुख स्थल: गंगा नदी का उद्गम स्थल समुद्र तल से 3,892 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है।
- अलकनंदा : अलकनंदा नदी का उद्गम बद्रीनाथ में सतोंपथ ग्लेशियर से होता है । वह से आगे बढ़ने पर इसमें विष्णुप्रयाग में धौलीगंगा आकर मिलती है। नंदप्रयाग में नंदकिनी आकर मिलती है, कर्णप्रयाग में पिंडर आकर मिलती है, रुद्रप्रयाग में मंदाकिनी आकर मिलती है तथा देवप्रयाग में भागीरथी आकर मिलती है।
- अलकनंदा का संगम: देवप्रयाग में भागीरथी नदी का संगम अलकनंदा नदी से होता है, जहाँ से इसे ‘गंगा’ के नाम से जाना जाता है।
प्रवाह मार्ग और प्रमुख स्थान
- प्रवाह मार्ग: गंगा नदी हिमालय के गंगोत्री ग्लेशियर से निकलकर उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, और पश्चिम बंगाल से होकर बंगाल की खाड़ी में मिलती है।
- महत्वपूर्ण स्थल:
- हरिद्वार: यह उत्तराखंड में स्थित है और गंगा का एक पवित्र स्थल है।
- प्रयागराज (इलाहाबाद): यहाँ गंगा का संगम यमुना और सरस्वती से होता है, जिसे त्रिवेणी संगम कहा जाता है।
- वाराणसी: यह गंगा किनारे बसा सबसे प्रमुख धार्मिक स्थल है।
- पटना: बिहार का एक प्रमुख शहर जो गंगा किनारे स्थित है।
- कोलकाता: पश्चिम बंगाल में स्थित यह गंगा का अंतिम बड़ा शहर है।
गंगा नदी का तंत्र और सहायक नदियाँ
गंगा नदी की सहायक नदियों को दाएँ और बाएँ तरफ की सहायक नदियों में विभाजित किया गया है:
(A) बाएँ तरफ की सहायक नदियाँ (Left-Bank Tributaries)
- घाघरा (सरयू):
- उद्गम: तिब्बत के हिमालय क्षेत्र।
- प्रवाह मार्ग: नेपाल और उत्तर प्रदेश से होकर बिहार में गंगा से मिलती है।
- विशेषता: घाघरा उत्तर प्रदेश के लिए अत्यधिक महत्त्वपूर्ण नदी है और इसे सरयू के नाम से भी जाना जाता है।
- गंडक:
- उद्गम: नेपाल के हिमालय से।
- प्रवाह मार्ग: नेपाल और बिहार के मैदानी क्षेत्रों से होकर गंगा में मिलती है।
- विलय स्थल: सोनपुर, बिहार में गंगा से मिलती है।
- कोसी:
- उद्गम: नेपाल में हिमालय क्षेत्र से।
- प्रवाह मार्ग: बिहार के तराई क्षेत्रों से गुजरती है।
- विलय स्थल: बिहार के कटिहार में गंगा से मिलती है।
- विशेषता: इसे “बिहार का शोक” कहा जाता है, क्योंकि यह अक्सर बाढ़ का कारण बनती है।
- महानंदा:
- उद्गम: पश्चिम बंगाल के हिमालयी तराई क्षेत्र से।
- प्रवाह मार्ग: पश्चिम बंगाल और बिहार के बीच बहती है।
- विलय स्थल: पश्चिम बंगाल में गंगा से मिलती है।
- विशेषता: महानंदा उत्तरी बंगाल और बिहार के क्षेत्रों में जल आपूर्ति करती है।
- रामगंगा:
- उद्गम: उत्तराखंड के कुमाऊँ क्षेत्र से।
- प्रवाह मार्ग: उत्तर प्रदेश के रामपुर और बरेली से होकर बहती है।
- विलय स्थल: फर्रुखाबाद, उत्तर प्रदेश में गंगा से मिलती है।
- पुनपुन:
- उद्गम: झारखंड से।
- प्रवाह मार्ग: बिहार के क्षेत्रों में बहती है।
- विलय स्थल: पटना के पास गंगा से मिलती है।
- विशेषता: यह बिहार में सिंचाई और स्थानीय जल निकासी में सहायक है।
(B) दाएँ तरफ की सहायक नदियाँ (Right-Bank Tributaries)
- यमुना:
- उद्गम: यमुनोत्री ग्लेशियर, हिमालय से।
- प्रवाह मार्ग: उत्तराखंड, हरियाणा, दिल्ली, और उत्तर प्रदेश।
- विलय स्थल: प्रयागराज में गंगा से मिलती है।
- विशेषता: दिल्ली, मथुरा, आगरा जैसे कई प्रमुख शहर यमुना के किनारे स्थित हैं।
- सोन:
- उद्गम: मध्य प्रदेश के अमरकंटक से।
- प्रवाह मार्ग: मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, झारखंड और बिहार।
- विलय स्थल: बिहार के पटना में गंगा से मिलती है।
- विशेषता: सोन का जल स्थानीय क्षेत्रों में सिंचाई और विद्युत उत्पादन के लिए उपयोगी है।
- टोंस:
- उद्गम: हिमाचल प्रदेश से।
- प्रवाह मार्ग: उत्तराखंड में बहती है और यमुना से मिलती है।
- विशेषता: इसे यमुना की सबसे बड़ी सहायक नदी माना जाता है।
- चंबल:
- उद्गम: मध्य प्रदेश में विंध्याचल पर्वत से।
- प्रवाह मार्ग: मध्य प्रदेश, राजस्थान, और उत्तर प्रदेश।
- विलय स्थल: यमुना से मिलती है।
- विशेषता: यह घड़ियाल और डॉल्फिन जैसी जीवों के लिए संरक्षित चंबल अभयारण्य का हिस्सा है।
- बेतवा:
- उद्गम: मध्य प्रदेश के रायसेन जिले से।
- प्रवाह मार्ग: मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में बहती है।
- विलय स्थल: उत्तर प्रदेश में यमुना से मिलती है।
- काली (पूर्वी काली):
- उद्गम: उत्तराखंड से।
- प्रवाह मार्ग: उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्रों से बहती है।
- विलय स्थल: गंगा से मिलती है।
- विशेषता: यह नदी स्थानीय स्तर पर सिंचाई में उपयोगी है।
- हिंडन:
- उद्गम: सहारनपुर, उत्तर प्रदेश से।
- प्रवाह मार्ग: उत्तर प्रदेश के पश्चिमी क्षेत्रों में बहती है।
- विलय स्थल: यमुना नदी में मिलती है।
- विशेषता: हिंडन पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जल आपूर्ति का प्रमुख स्रोत है।
गंगा नदी तंत्र का संपूर्ण महत्व
1. कृषि और सिंचाई:
- गंगा और इसकी सहायक नदियाँ उत्तर भारत के कृषि क्षेत्रों के लिए प्रमुख जल स्रोत हैं।
- जलोढ़ मिट्टी की अधिकता के कारण गंगा बेसिन अत्यंत उपजाऊ है, जहाँ धान, गेहूँ, गन्ना, दलहन, और तिलहन जैसी फसलें उगाई जाती हैं।
2. धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व:
- गंगा और उसकी सहायक नदियों के किनारे बसे हुए हरिद्वार, प्रयागराज, वाराणसी जैसे पवित्र स्थान धार्मिक महत्व रखते हैं।
- प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु गंगा में स्नान करते हैं और गंगा आरती जैसे आयोजनों में भाग लेते हैं।
3. आर्थिक महत्व:
- गंगा और उसकी सहायक नदियाँ जलमार्ग, मछलीपालन, जल परिवहन और पर्यटन का प्रमुख स्रोत हैं।
- गंगा बेसिन भारत की आबादी का एक बड़ा हिस्सा समेटे हुए है, जो इसे भारत की आर्थिक गतिविधियों का केंद्र बनाता है।
4. गंगा डेल्टा:
- गंगा का डेल्टा सुंदरबन नाम से प्रसिद्ध है, जो विश्व का सबसे बड़ा डेल्टा है। यह भारत और बांग्लादेश के बीच फैला हुआ है।
- सुंदरबन क्षेत्र में मैंग्रोव वनस्पति और रॉयल बंगाल टाइगर की उपस्थिति इसे जैवविविधता का केंद्र बनाती है।
5. प्रदूषण और संरक्षण प्रयास:
- गंगा नदी प्रदूषण की समस्या से ग्रस्त है। गंगा के संरक्षण के लिए भारत सरकार ने नमामि गंगे योजना शुरू की है, जिसका उद्देश्य गंगा की सफाई और प्रदूषण कम करना है।
सारांश
गंगा नदी तंत्र एक विशाल प्रणाली है, जिसमें गंगा और उसकी सहायक नदियाँ मिलकर भारत के अधिकांश उत्तरी और पूर्वी क्षेत्रों को जल आपूर्ति करती हैं। गंगा का धार्मिक, सांस्कृतिक और आर्थिक महत्व अत्यधिक है, और यह भारतीय समाज का अभिन्न हिस्सा है।