विकसित भारत @2047 का परिचय
विकसित भारत @ 2047 नीति आयोग द्वारा शुरू की गई परियोजना है। जिसका उद्देश्य भारत को 2047 तक 30 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाना है।
इसमें आर्थिक समृद्धि, सामाजिक उन्नति, पर्यावरणीय स्थिरता , प्रभावी शासन जैसे पहलू शामिल है।
थीम
- सशक्त भारतीय
- संपन्न और टिकाऊ अर्थव्यवस्था
- नवाचार विज्ञान और प्रौद्योगिकी
- सुशासन और सुरक्षा
- दुनिया में भारत
उद्देश्य
- 1.2047 तक भारत को 30 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाना ।
- विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचे और सुविधाओ का निर्माण करना ।
- डिजिटल अर्थव्यवस्था और शासन को बढ़ावा देना।
- रक्षा और अंतरिक्ष क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनना।
- नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता में वृद्धि, कार्बन उत्सर्जन कम करना, हरित विकास और जलवायु कार्यवाई को बढ़ावा देना।
- कौशल विकास एवम रोजगार के अवसर पैदा करना।
- विलय या पुनर्गठन और स्वदेशी उद्योग और नवाचार को बढ़ावा देकर हर क्षेत्र में 3—4 चैंपियन विकसित करना ।
- 10 प्रयोगशालाओं का निर्माण करने के लिए विदेशी संगठनों के साथ साझेदारी करना ।
नीति आयोग का विज़न दस्तावेज — विकसित भारत @2047
भारत भारत के दृष्टिकोण के आधार पर नीति आयोग यहां सुनिश्चित करने के लिए एक दस्तावेज तैयार कर रहा है की दिए गए समय में भारत लक्ष्य को प्राप्त कर सके।
विकसित भारत @2047 का मुख्य लक्ष्य :अर्थव्यवस्था और आत्मनिर्भरता
- $5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था का लक्ष्य।
- मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत के तहत उत्पादन और निर्यात को बढ़ावा देना।
- स्टार्टअप इकोसिस्टम और डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर का विस्तार।
2. तकनीकी और डिजिटल सशक्तिकरण
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), रोबोटिक्स, और 5G जैसी उन्नत तकनीकों का विकास।
- डिजिटल इंडिया मिशन के तहत डिजिटल सेवाओं और कनेक्टिविटी का विस्तार।
- साइबर सुरक्षा और डेटा प्राइवेसी पर ध्यान केंद्रित करना।
3. शिक्षा और कौशल विकास
- नई शिक्षा नीति (NEP 2020) के तहत गुणवत्तापूर्ण और समावेशी शिक्षा।
- वर्ल्ड-क्लास रिसर्च और इनोवेशन को बढ़ावा।
- युवाओं में कौशल विकास और व्यावसायिक प्रशिक्षण के अवसर बढ़ाना।
4. स्वास्थ्य और स्वच्छता
- स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे का विकास और सुधार।
- आयुष्मान भारत और जन औषधि योजना के माध्यम से सभी के लिए सस्ती और सुलभ स्वास्थ्य सेवाएं।
- स्वच्छ भारत मिशन के तहत स्वच्छता और शुद्ध पेयजल सुनिश्चित करना।
5. पर्यावरण और टिकाऊ विकास
- रिन्यूएबल एनर्जी स्रोतों जैसे सोलर और विंड एनर्जी का उपयोग बढ़ाना।
- क्लाइमेट चेंज से निपटने के लिए टिकाऊ विकास की नीतियों का कार्यान्वयन।
- 2030 तक कार्बन उत्सर्जन में कमी और हरित प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देना।
6. कृषि और ग्रामीण विकास
- कृषि उत्पादन को आधुनिक तकनीक और संसाधनों के माध्यम से बढ़ाना।
- किसानों के लिए MSP और न्यूनतम समर्थन मूल्य को सुनिश्चित करना।
- ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार और बुनियादी ढांचे का विकास।
7. सामाजिक समावेशन और महिला सशक्तिकरण
- समानता, जातिगत भेदभाव और गरीबी उन्मूलन के लिए ठोस कदम।
- महिलाओं के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, और आर्थिक स्वतंत्रता के अवसर बढ़ाना।
- SC/ST/OBC और अन्य पिछड़े वर्गों के उत्थान पर जोर।
8. इंफ्रास्ट्रक्चर और स्मार्ट सिटीज
- स्मार्ट सिटीज मिशन के तहत शहरों का विकास।
- हाई-स्पीड रेल, मेट्रो, और एक्सप्रेसवे का विस्तार।
- स्मार्ट ट्रांसपोर्ट और हरित निर्माण के लिए योजनाएं।
इन प्रमुख क्षेत्रों में ध्यान केंद्रित कर भारत को 2047 तक एक उन्नत, सशक्त और विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य है।
विकसित भारत @2047 में योगदान देने वाले कारक
विकसित भारत @2047 में योगदान देने वाले मुख्य कारक कई आयामों में फैले हुए हैं, जिनका संयुक्त रूप से देश की प्रगति और समृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। ये कारक निम्नलिखित हैं:
1. उद्योग और विनिर्माण क्षेत्र का विकास
- मेक इन इंडिया और प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) जैसी योजनाओं ने भारत में विनिर्माण को बढ़ावा दिया है।
- ऑटोमोबाइल, फार्मास्युटिकल्स, और टेक्सटाइल जैसे क्षेत्रों में निवेश बढ़ा है।
- लघु और मध्यम उद्योगों (MSMEs) को समर्थन देकर रोजगार सृजन और आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा मिला।
2. सेवा क्षेत्र का योगदान
- आईटी और आईटीईएस (Information Technology Enabled Services) ने भारत को एक वैश्विक आईटी हब के रूप में स्थापित किया है।
- पर्यटन, बैंकिंग, और वित्तीय सेवाओं ने भी अर्थव्यवस्था में बड़े पैमाने पर योगदान दिया।
- बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग (BPO) और नॉलेज प्रोसेस आउटसोर्सिंग (KPO) में बढ़ती मांग।
3. कृषि और ग्रामीण विकास
- कृषि क्षेत्र भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, और हरित क्रांति के बाद इसमें कई सुधार हुए हैं।
- प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि और फसल बीमा योजना जैसी योजनाएं किसानों को समर्थन प्रदान कर रही हैं।
- आधुनिक कृषि तकनीकों और सिंचाई योजनाओं से उत्पादन बढ़ाने पर जोर।
4. विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI)
- भारत ने पिछले कुछ दशकों में FDI के लिए अपने दरवाजे खोले हैं, जिससे विदेशी निवेशकों का आकर्षण बढ़ा है।
- रिटेल, टेक्नोलॉजी, और ई-कॉमर्स जैसे क्षेत्रों में विदेशी निवेश का लगातार प्रवाह हुआ है।
- ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में सुधार के कारण वैश्विक निवेशकों के लिए भारत एक आकर्षक बाजार बना है।
5. डिजिटल इंडिया और टेक्नोलॉजी
- डिजिटल इंडिया अभियान ने इंटरनेट कनेक्टिविटी, डिजिटल भुगतान और ई-गवर्नेंस को बढ़ावा दिया है।
- फिनटेक (Financial Technology) और स्टार्टअप इकोसिस्टम ने नई नौकरियां और आर्थिक अवसर उत्पन्न किए हैं।
- ई-कॉमर्स और डिजिटल सेवाओं का विकास तेजी से हुआ है, जिससे अर्थव्यवस्था में व्यापक योगदान हुआ।
6. इंफ्रास्ट्रक्चर विकास
- स्मार्ट सिटीज मिशन, भारतमाला परियोजना, और सागरमाला परियोजना जैसी योजनाओं ने देश के बुनियादी ढांचे को मजबूत किया है।
- मेट्रो, हाईवे, और रेलवे नेटवर्क के विस्तार से आर्थिक गतिविधियों में तेजी आई है।
- बेहतर विद्युत आपूर्ति और रिन्यूएबल एनर्जी स्रोतों का उपयोग अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बना रहा है।
7. श्रमबल और जनसांख्यिकीय लाभ
- भारत की विशाल और युवा आबादी, जिसे दुनिया का सबसे बड़ा श्रमबल माना जाता है, देश के विकास में अहम भूमिका निभाती है।
- कौशल विकास कार्यक्रमों के माध्यम से युवाओं को प्रशिक्षित कर अर्थव्यवस्था में उनका योगदान सुनिश्चित किया जा रहा है।
- रोजगार के नए अवसर सृजित करने के लिए स्टार्टअप्स और नए व्यवसायों को प्रोत्साहन दिया जा रहा है।
8. वैश्विक व्यापार और निर्यात
- वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइजेशन (WTO) और विभिन्न मुक्त व्यापार समझौतों (FTAs) के तहत भारत ने वैश्विक व्यापार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाई है।
- टेक्सटाइल, फार्मास्युटिकल्स, और गEMS & ज्वेलरी जैसे क्षेत्रों में निर्यात को बढ़ावा।
- चीन+1 रणनीति के तहत विदेशी कंपनियों का भारत में उत्पादन बढ़ाना।
9. सरकारी सुधार और नीतियां
- GST (वस्तु एवं सेवा कर) और मुद्रा योजना जैसे सुधारों ने अर्थव्यवस्था को संगठित और सरल बनाया है।
- मेक इन इंडिया, स्टार्टअप इंडिया, और आत्मनिर्भर भारत जैसी योजनाओं ने नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा दिया है।
- रिफॉर्म्स के तहत बैंकों का पुनर्गठन, एनपीए का समाधान, और बैंकिंग सेक्टर में सुधार किया गया है।
10. उपभोक्ता मांग और बाजार विस्तार
- बढ़ती मध्यम वर्ग की आबादी और उनकी खर्च करने की क्षमता ने उपभोक्ता बाजार का विस्तार किया है।
- ई-कॉमर्स और ऑनलाइन खरीदारी में तेजी से वृद्धि हुई है।
- वित्तीय समावेशन और डिजिटल भुगतान के कारण आर्थिक गतिविधियां बढ़ी हैं।
इन कारकों का संयुक्त प्रभाव भारत की आर्थिक प्रगति और वैश्विक आर्थिक मानचित्र पर एक महत्वपूर्ण शक्ति के रूप में उभरने में सहायक है।
विकसित भारत @2047 के समक्ष चुनौतियां
विकसित भारत @2047″ के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए विभिन्न चुनौतियाँ सामने आती हैं। ये चुनौतियाँ निम्नलिखित हैं:
1. जनसंख्या वृद्धि
- जनसंख्या नियंत्रण के अभाव में संसाधनों पर दबाव बढ़ सकता है।
- युवा जनसंख्या को रोजगार देने की चुनौती, जिससे बेरोजगारी की समस्या उत्पन्न हो सकती है।
2. आर्थिक विषमता
- अमीर और गरीब के बीच की खाई बढ़ती जा रही है, जो सामाजिक तनाव और असमानता को जन्म देती है।
- ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के विकास में असमानता।
3. शिक्षा की गुणवत्ता
- शिक्षा प्रणाली में सुधार की आवश्यकता है ताकि यह आधुनिक जरूरतों को पूरा कर सके।
- कौशल विकास और व्यावसायिक प्रशिक्षण का अभाव।
4. स्वास्थ्य सेवाओं का अभाव
- स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता और पहुँच में सुधार की आवश्यकता है।
- ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की कमी और अवसंरचना की समस्या।
5. पर्यावरणीय मुद्दे
- जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण प्रदूषण, जो कृषि और स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं।
- प्राकृतिक संसाधनों का अति उपयोग और उनकी अपर्याप्तता।
6. भ्रष्टाचार
- सरकारी और गैर-सरकारी क्षेत्रों में भ्रष्टाचार, जो विकास कार्यों में बाधा उत्पन्न करता है।
- पारदर्शिता और जवाबदेही की कमी।
7. राजनीतिक अस्थिरता
- राजनीतिक अस्थिरता और विभाजन, जो विकासात्मक नीतियों के कार्यान्वयन में बाधा डाल सकते हैं।
- राजनीतिक मुद्दों पर केंद्रित निर्णय लेने की प्रक्रिया की कमी।
8. संरचना की कमी
- बुनियादी ढांचे की कमी, जैसे कि सड़कों, बिजली, और जल आपूर्ति, जो विकास में बाधा डालती है।
- स्मार्ट सिटीज के विकास में चुनौतियाँ और संसाधनों की उपलब्धता।
9. वैश्विक प्रतिस्पर्धा
- वैश्विक अर्थव्यवस्था में प्रतिस्पर्धा को देखते हुए घरेलू उद्योगों को चुनौती।
- व्यापारिक नीतियों और नियमों में निरंतर बदलाव।
10. डिजिटल विभाजन
- डिजिटल इंडिया के उद्देश्य को प्राप्त करने में तकनीकी पहुँच में असमानता।
- ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट और तकनीकी संसाधनों की कमी।
11. कृषि की समस्याएँ
- कृषि उत्पादन में स्थिरता और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव।
- किसानों की आय बढ़ाने और उनके लिए सशक्तिकरण की आवश्यकता।
12. सामाजिक समरसता
- सामाजिक संघर्ष और जातिगत भेदभाव, जो विकास को प्रभावित कर सकते हैं।
- महिलाओं और अन्य marginalized समूहों का सशक्तिकरण।
इन चुनौतियों का समाधान निकालना भारत को 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनाने के लिए आवश्यक होगा। इसके लिए उचित नीतियों, सामाजिक जागरूकता और सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है। तभी विकसित भारत @ का सपना साकार होगा ।