परिचय :
राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन (National Mission for Sustainable Agriculture – NMSA)
राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन (NMSA) भारत सरकार द्वारा शुरू की गई एक महत्वपूर्ण पहल है जिसका मुख्य उद्देश्य कृषि क्षेत्र को टिकाऊ और पर्यावरण-अनुकूल बनाना है। यह मिशन 12वीं पंचवर्षीय योजना (2012-2017) के अंतर्गत शुरू किया गया था और इसका उद्देश्य कृषि उत्पादन को बढ़ावा देने के साथ-साथ प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करना है। राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना के प्रमुख मिशनों में से एक हैं।
राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन (NMSA) के उद्देश्य
संसाधनों का प्रभावी उपयोग (Efficient Use of Resources):
- कृषि उत्पादन में वृद्धि के लिए जल, मिट्टी, उर्वरक और बीज जैसे प्राकृतिक संसाधनों का सही और संतुलित उपयोग किया जाना चाहिए। इसका उद्देश्य यह है कि कृषि में न्यूनतम संसाधनों का उपयोग करते हुए अधिकतम उत्पादकता हासिल की जा सके।
- उदाहरण के लिए, किसानों को पानी के सीमित स्रोतों का बेहतर और टिकाऊ तरीके से इस्तेमाल करना सिखाया जाता है, जैसे ड्रिप सिंचाई प्रणाली (drip irrigation) का उपयोग, जिससे कम पानी में भी अच्छी फसल उत्पादन संभव हो सके।
- उर्वरकों और रसायनों का सही अनुपात में उपयोग कर फसलों की गुणवत्ता और उत्पादन को बढ़ाने पर ध्यान दिया जाता है ताकि किसानों की लागत कम हो और मुनाफा बढ़े।
जलवायु परिवर्तन के अनुकूलन (Adaptation to Climate Change):
- बदलते जलवायु परिदृश्य के कारण खेती के तरीकों में बदलाव आवश्यक है। NMSA का उद्देश्य किसानों को ऐसी तकनीक और जानकारी प्रदान करना है जो जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों को कम कर सके।
- इसमें मौसम-आधारित सलाह, जलवायु-सहनशील फसलों का चयन, और प्राकृतिक आपदाओं (जैसे सूखा, बाढ़) से निपटने के तरीकों पर प्रशिक्षण शामिल है।
- फसल विविधीकरण (Crop Diversification) और वैकल्पिक खेती विधियों को अपनाने से किसान जोखिम को कम कर सकते हैं, जिससे उनकी आय स्थिर बनी रहती है, चाहे मौसम कैसा भी हो।
प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण (Conservation of Natural Resources):
- NMSA का उद्देश्य जल, मिट्टी और जैव विविधता जैसे महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधनों को संरक्षित करना है ताकि दीर्घकालिक रूप से कृषि स्थिरता बनी रहे।
- जल संचयन, सूक्ष्म सिंचाई (Micro Irrigation) और वर्षा जल संरक्षण जैसी तकनीकों का उपयोग किया जाता है ताकि पानी की बर्बादी को रोका जा सके।
- मिट्टी के संरक्षण के लिए जैविक खादों और फसल अवशेषों के पुन: उपयोग को प्रोत्साहित किया जाता है, जिससे मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है और रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता कम होती है।
जैव विविधता का संरक्षण (Preservation of Biodiversity):
- जैव विविधता का संरक्षण किसानों और पर्यावरण दोनों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। NMSA के तहत किसानों को जैविक खेती और परंपरागत बीजों के उपयोग के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
- स्थानीय किस्मों (local varieties) और पारंपरिक फसल प्रणालियों का समर्थन किया जाता है ताकि फसल की विविधता बनी रहे और पारिस्थितिक तंत्र (ecosystem) को हानि न हो।
- इससे न केवल कृषि को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से बचाने में मदद मिलती है, बल्कि किसानों की आजीविका के लिए सुरक्षित और सतत खेती सुनिश्चित होती है।
कृषि में नवाचार और नई तकनीकों का उपयोग (Promotion of Innovation and Technology in Agriculture):
- NMSA के तहत कृषि क्षेत्र में नए-नए नवाचारों और तकनीकों को अपनाने पर जोर दिया गया है। इसका उद्देश्य किसानों को नवीनतम कृषि प्रथाओं और उन्नत उपकरणों के माध्यम से उनकी उत्पादकता बढ़ाने में मदद करना है।
- जैसे, सटीक खेती (Precision Farming), ड्रोन तकनीक, सेंसर आधारित सिंचाई प्रबंधन, और मोबाइल ऐप्स के माध्यम से खेती के बारे में जानकारी प्रदान की जाती है।
- इससे खेती की लागत में कमी आती है, संसाधनों का कुशल उपयोग होता है और किसानों की उत्पादकता में वृद्धि होती है।
किसानों की आय में वृद्धि और आजीविका में सुधार (Increase in Farmers’ Income and Livelihood Improvement):
- NMSA का एक और महत्वपूर्ण उद्देश्य किसानों की आय को बढ़ाना और उनकी आजीविका में सुधार लाना है। इसके लिए खेती के नए-नए तरीकों को प्रोत्साहित किया जाता है, जिससे किसानों को अधिक लाभ मिल सके।
- जैविक खेती, फसल विविधीकरण, और नकदी फसलों (cash crops) की खेती को प्रोत्साहित किया जाता है, ताकि किसान बाजार में अपनी फसल को ऊंचे दामों पर बेच सकें और उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत हो।
- इसके साथ ही, कृषि विपणन और मूल्य वर्धन (value addition) के अवसरों पर भी ध्यान दिया जाता है, जिससे किसानों को उनकी फसल का सही मूल्य मिल सके।
राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन के प्रमुख घटक:
मिट्टी स्वास्थ्य प्रबंधन (Soil Health Management): किसानों को मिट्टी की गुणवत्ता के सुधार के लिए आवश्यक तकनीकें और प्रशिक्षण उपलब्ध कराए जाते हैं। इसमें मिट्टी परीक्षण, जैविक खादों का उपयोग, और उर्वरकों के संतुलित उपयोग पर जोर दिया जाता है।
जल प्रबंधन (Water Management): जल संचयन, सूक्ष्म सिंचाई, और जल उपयोग दक्षता को बढ़ाने के लिए कई योजनाएं चलाई जाती हैं। जल संरक्षण के माध्यम से कृषि उत्पादन में वृद्धि की जाती है।
फसल सुरक्षा और प्रबंधन: कीटों और बीमारियों से फसलों की सुरक्षा के लिए किसानों को जैविक कीटनाशकों और प्राकृतिक साधनों का उपयोग करने के लिए प्रेरित किया जाता है। साथ ही, फसलों के लिए प्राकृतिक आपदाओं के जोखिम को कम करने पर ध्यान दिया जाता है।
जैविक खेती को बढ़ावा: किसानों को जैविक खेती अपनाने के लिए प्रेरित किया जाता है। यह पहल न केवल पर्यावरण के लिए बेहतर है, बल्कि इससे किसानों की आय में भी वृद्धि होती है।
राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन की कार्यान्वयन रणनीतियां:
- अनुसंधान और विकास
- प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण
- वित्तीय सहायता
- निगरानी और मूल्यांकन
राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन के प्रभाव :
1. सतत कृषि विकास:
- NMSA का उद्देश्य कृषि उत्पादन को बढ़ाना है, जबकि पर्यावरण की सुरक्षा और संसाधनों के कुशल उपयोग को सुनिश्चित करना है। यह जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में मदद करता है।
2. जल प्रबंधन:
- योजना में जल प्रबंधन तकनीकों को लागू किया गया है, जैसे कि वर्षा जल संचयन और ड्रिप सिंचाई, जो जल की कमी वाले क्षेत्रों में फसलों की उत्पादकता बढ़ाने में सहायक होती हैं।
3. कृषि अनुसंधान और विकास:
- NMSA कृषि अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देता है, जिससे नई किस्मों और कृषि प्रौद्योगिकियों का विकास संभव हो पाता है। यह किसानों को बेहतर बीज और उर्वरक उपलब्ध कराने में मदद करता है।
4. किसान जागरूकता और प्रशिक्षण:
- कार्यक्रम किसानों को प्रशिक्षण और जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से नवीनतम कृषि तकनीकों और प्रथाओं से अवगत कराता है। इससे उन्हें बेहतर निर्णय लेने में मदद मिलती है।
5. आर्थिक लाभ:
- स्थायी कृषि प्रथाओं के अपनाने से किसानों की आय में वृद्धि होती है। NMSA द्वारा समर्थित कार्यक्रमों से फसल उत्पादन और गुणवत्ता में सुधार होता है, जिससे किसानों को अच्छे दाम मिलते हैं।
6. विभिन्न फसलों का विकास:
- योजना ने फसल विविधीकरण को बढ़ावा दिया है, जिससे किसान विभिन्न फसलें उगाने के लिए प्रोत्साहित होते हैं। यह उनकी आय के स्रोतों को बढ़ाने में सहायक होता है।
7. पर्यावरण संरक्षण:
- NMSA के तहत अपनाई गई प्रथाएँ मिट्टी, जल और जैव विविधता के संरक्षण में सहायक होती हैं, जिससे प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण होता है।
8. नवाचार और प्रौद्योगिकी का उपयोग:
- तकनीकी नवाचार जैसे स्मार्ट कृषि उपकरणों का उपयोग बढ़ा है, जो फसलों की पैदावार और गुणवत्ता में सुधार करते हैं।
9. पारिस्थितिकी संतुलन:
- यह योजना पारिस्थितिकी संतुलन को बनाए रखने में मदद करती है, जिससे कृषि प्रणाली की स्थिरता में योगदान होता है।
राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन की चुनौतियां:
- किसानों के बीच जागरूकता की कमी।
- नई तकनीकों और तरीकों को अपनाने में कठिनाई।
- जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभावों के कारण फसलों की अस्थिरता।
- छोटे और सीमांत किसानों तक लाभ पहुँचाने में कठिनाई।
- संसाधनों की कमी।
राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन भविष्य की दशाएं:
- बेहतर एकीकरण: अन्य कृषि और पर्यावरणीय कार्यक्रमों के साथ अधिक एकीकरण।
- विस्तार : सफल पद्धतियों को व्यापक क्षेत्रों और अधिक किसानों तक विस्तारित करना।
- नवाचार: नई उभरती चुनौतियों का समाधान करने के लिए नई प्रौद्योगिकीयो और पद्धतियों का निरंतर विकास।
निष्कर्ष:
राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन का उद्देश्य कृषि को अधिक टिकाऊ, उत्पादक और पर्यावरण के अनुकूल बनाना है। इससे न केवल किसानों की आय में वृद्धि होती है, बल्कि यह देश की खाद्य सुरक्षा को भी सुनिश्चित करता है। इस योजना के कार्यान्वयन से भारत की कृषि क्षेत्र में एक सकारात्मक परिवर्तन आ रहा है।